बिहार अपने आप में कई सारे सांस्कृतिक धरोहरों को समटे हुए है । जब भी इतिहास के पन्नो को पलट क्र देखते है तो न जाने कितनी ही ऐसी धरोहरों की जानकारी हासिल होती है । जिसके बारे में जानकर गर्व की अनुभूति होती है ।
आज बात करते है मुंगेर की , बिहार के सबसे प्राचीन शहरों में से एक मुंगेर है। मुंगेर को ‘बिहार स्कूल ऑफ़ योगा’ की पहचान मिली हुई है। योग प्रेमी यहां विशेष रूप में योगाभ्यास के लिए आते हैं, इसमें विदेश से आने वाले सैलानियों की संख्या भी अच्छा खासी है। मुंगेर का अस्तित्व आर्यों के समय से है, जिन्होंने अपने निवास के लिए इसे ‘मिडलैंड’ का नाम दिया था।
वर्तमान में इसमें मुंगेर और जमालपुर इलाके आते हैं। अंग्रेजों के इस शहर पर कब्जे से पहले यहां मीर कासिम का साम्राज्य हुआ करता था। इस जगह कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जो विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र हैं। मुंगेर का ऐतिहासिक किला देखने में असीम आनंद आएगा।
सबसे ज्यादा दार्शनिक स्थान है यहां का सीताकुंड । इसके दर्शन से आत्मा तृप्त हो जाती हैं। मुंगेर से 6 कि.मी. पूर्व में स्थित सीता कुंड का नाम भगवान राम की सीता के नाम पर रखा गया है। माना जाता है कि जब राम ने सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाया था, तब वह उन्हें यहीं अपनी पवित्रता की परीक्षा देने के लिए लाए थे। धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि अग्नि परीक्षा देने के बाद सीता माता ने जिस कुंड में स्नान किया, यह वही कुंड है।
यह स्थान मुंगेर शहर से 4 मील पूर्व स्थित है। इसमें सीता कुंड के रूप में जाना जाने वाला गर्म स्प्रिंग्स है, इसके अलावा यहां एक हिंदू मंदिर है और उत्तर में ठंडे पानी का एक भंडार है, जिसे रामकुंड कहा जाता है, जबकि पश्चिम में तीनों चुनावों में राम के तीन भाई, लक्ष्मण कुंड, भरत कुंड, और सतगुहन कुंड है ।
कैसे पहुंचे मुंगेर : मुंगेर जाने के लिए ट्रेन सबसे अच्छा माध्यम है। यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन जमालपुर है, जो मुंगेर से लगभग 9 किमी दूर है।