धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा का दिन कई मायनों में खास माना जाता है. कार्तिक महीने (Purnima Mass) में पड़ने वाली इस पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima), त्रिपुरी पूर्णिमा (Tripurari Purnima) और गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है. पुराणों में इस दिन को स्नान, व्रत और तप की दृष्टि से मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करके उगते सूर्य को अर्ध्य देना बेहद फलदायी माना जाता है. इसके अलावा, इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है. इस दिन दान आदि करने से कई पापों का नाश होता है.
हिन्दू पंचांग के अनुसार, साल का 8वां महीना कार्तिक महीना होता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा ‘कार्तिक पूर्णिमा’ कहलाती है. प्रत्येक वर्ष 15 पूर्णिमाएं होती हैं, जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 16 हो जाती है. इसका महत्व सिर्फ वैष्णव भक्तों के लिए ही नहीं शैव भक्तों और सिख धर्म के लिए भी बहुत ज्यादा है.
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
ज्ञात हो कि कार्तिक पूर्णिमा का दिन भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने पर श्री हरि प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के सभी संकटों को दूर कर देते हैं. आज के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है. इस दिन गंगा नदी में स्नान करना या डुबकी लगाना बेहद शुभ माना जाता है.
कार्तिक पूर्णिमा को क्यों कहते हैं त्रिपुरारी पूर्णिमा
मान्यता है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक असुर का संहार किया था, जिसके बाद वह त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए, इसलिए इस दिन को ‘त्रिपुरारी पूर्णिमा’ भी कहा जाता है.
स्नान का शुभ मुहूर्त
कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करने का शुभ मूहूर्त 19 नवंबर 2021 (शुक्रवार) को ब्रम्ह मुहूर्त से दोपहर 02:29 तक रहेगा. अगर आप किसी पवित्र घाट या नदी में स्नान नहीं कर सकते, तो घर में ही स्नान के समय पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करने से भी उतना ही फल मिलता है.