भारत के पूर्वी राज्य बिहार स्थित औरंगाबाद एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है, जो अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के बल पर दूर-दराज के सैलानियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता। खूबसूरत मंदिरों और प्राचीन संरचनाओं के साथ यहां देखने लायक बहुत से दर्शनीय स्थल मौजूद हैं। यह शहर मुख्यत: अपने अतीत से जुड़े स्थल और घटनाओं के लिए जाना जाता है। इतिहास से जुड़े पन्ने बताते हैं कि प्राचीन समय में यहां बहुत से राजपूतों का आगमन हुआ था। यहां बसने वाले सूर्यवंशी राजपूतों की बड़ी संख्या के कारण इस राज्य को ‘बिहार का चितौड़गढ़’ भी कहा जाता है। यह शहर पहले मगध साम्राज्य के महाजनदों में शामिल था।
पवई, माली और चंदनगढ़ का किला – औरंगाबाद भ्रमण की शुरुआत आप यहां के ऐतिहासिक स्थानों से कर सकते हैं, माना जाता है मध्यकाल में बहुत से राजस्थानियों का यहां आगमन हुआ था और वे यहां आकर बस गए थे, जिसकी पहचान यहां के पवई, माली और चंदनगढ़ का किले के माध्यम से की जा सकती है। ये किले उस समय की संस्कृति को आज भी जीवित रखने का काम करते हैं। वर्तमान समय में खंडहर रूप में मौजूद यह किले शहर के मुख्य ऐतिहासिक आकर्षणों में गिने जाते हैं, जहां पर्यटक आना पसंद करते हैं। इन किलों की मौजदूगी के बारे में भारत के कई इतिहासकारों और पुरातत्वविदों ने भी लिखा है। पवई, माली और चंदनगढ़ किले शहर को प्राचीन रूप से महत्वपूर्ण बनाने का काम करते हैं।
देव कुंड – ऐतिहासिक किलों के बाद आप यहां के अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों की सैर कर सकते हैं। देव कुंड शहर के चुनिंदा खास ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जहां रोजाना भारी संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है। यह एक प्राचीन मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर मुख्य शहर से लगभग 10 कि.मी की दूरी पर स्थित है। शिवरात्रि और सावन मास के दौरान यहां भक्तों का भारी भीड़ इकट्टा होती है। इस स्थल से एक लोकप्रिय किवंदती भी जुड़ी है, माना जाता है कि च्यवन ऋषि ने इस मंदिर में कभी शरण ली थी, इसलिए यह मंदिर धार्मिक रूप से और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
अमझर शरीफ – औरंगाबाद के धार्मिक स्थलों में आप अमझर शरीफ की सैर भी कर सकते हैं। पचरुखिया से 10 कि.मी की दूरी पर स्थित यह स्थल इस्लाम धर्म के लोगाों का एक महत्वपूर्ण पवित्र स्थल है। दरअसल यह स्थल हजरत सैदाना मोहम्मद जिलानी की मजार है। हजरत सैदाना इस्लाम धर्म के प्रसिद्ध संत थे। इस स्थल का निर्माण हजरत सैदाना की याद में बनाया गया था। प्रतिवर्ष जून महीने में इनका हिज उर्स मुबारक मनाया जाता है। इस दौरान यहां भारत वर्ष से इस्लाम धर्म को मानने वालों का भारी आगमन होता है। एक शानदार अनुभव के लिए आप इस स्थल पर आ सकते हैं।
सूर्य मंदिर – इन स्थलों के साथ आप औरंगाबाद के मुख्य आकर्षण और धार्मिक स्थल सूर्य मंदिर के दर्शन करना न भूलें। यह मंदिर शहर के लिए एक लैंडमार्क के तौर पर काम करता है। अपनी अनूठी शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध मंदिर पश्चिमाभिमुख है, जिस वजय से यह एक अनोखा मंदिर भी माना जाता है। पत्थरों को तराश कर बनाई गई कलाकृतियां देखने लायक है। यहां आने वाले आगंतुक इन नक्काशियों को देख काफी ज्यादा आश्चर्यचकित हो जाते हैं। यह एक पौराणिक मंदिर है, माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा द्वारा हुआ था। और भी कई किवंदतियां इस मंदिर से जुड़ी हैं।
पिरु और सिरीस – उपरोक्त स्थलों के अलावा आप यहां पिरु स्थल की सैर कर सकते हैं, माना जाता है कि यह प्राचीन स्थल राजा हर्षवर्धन के दरबार के प्रसिद्ध कवि बाणभट्ट से संबंध रखता है। इस स्थल को पहले प्रितिकूट के नाम से संबधित किया जाता है। ऐतिहासिक महत्व रखने के कारण यह शहर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। इसके अलावा आप एक और प्राचीन स्थल सिरीस की सैर कर सकते हैं। यह स्थल 1857 के भारतीय आंदोलन से संबंध रखता है। इसके अलावा यह स्थल मुगल काल के दौरान एक महत्वपूर्ण क्षेत्र भी था। आप यहां औरंगजेब के शासनकाल के दौरान बनाई गई एक प्राचीन मस्जिद को भी देख सकते हैं। भारतीय इतिहास को समझने के लिए आप यहां आ सकते हैं।